रामेश्वरम मंदिर: महत्व, इतिहास और यात्रा मार्गदर्शिका

8/2/2025 11:12:33 AM, Aniket

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रामेश्वरम मंदिर: इतिहास, महत्व और यात्रा मार्गदर्शिका

भारत के चार धामों में से एक, रामेश्वरम मंदिर (श्री रामनाथस्वामी मंदिर), तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में भी प्रतिष्ठित है। हिंदू धर्म में इस मंदिर का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि यह स्थल श्रीराम जी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है।

रामेश्वरम मंदिर का धार्मिक महत्व

  • रामेश्वरम मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
  • भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद यहां भगवान शिव की पूजा की थी।
  • यह मंदिर शैव और वैष्णव दोनों भक्तों के लिए पवित्र स्थल है।
  • रामलिंगम और विश्वलिंगम – दो प्रमुख शिवलिंग यहां स्थापित हैं।

रामेश्वरम मंदिर का इतिहास

  • मंदिर का निर्माण पांड्य वंश ने 12वीं शताब्दी में प्रारंभ किया।
  • बाद में नायक राजाओं ने इसे विस्तार दिया और भव्य स्वरूप प्रदान किया।
  • मंदिर के गलियारे (Corridors) विश्व के सबसे लंबे मंदिर गलियारों में गिने जाते हैं।
  • मंदिर में 22 पवित्र तीर्थ कुएं (Theerthams) स्थित हैं।

रामेश्वरम मंदिर कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा: मदुरै एयरपोर्ट (170 किलोमीटर दूर)। मदुरै से टैक्सी और बस सेवा उपलब्ध है।

रेल मार्ग

रामेश्वरम रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

पंबन ब्रिज के माध्यम से रामेश्वरम द्वीप सड़क मार्ग से जुड़ा है। चेन्नई, मदुरै, त्रिची से बसें आसानी से उपलब्ध हैं।

रामेश्वरम मंदिर के दर्शन एवं समय

क्रियाकलाप समय
प्रातः काल पूजा सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे तक
सामान्य दर्शन सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक
अभिषेकम सुबह 7:00 बजे से 10:00 बजे तक
आरती सुबह 5:30 बजे और शाम 6:00 बजे

रामेश्वरम के अन्य दर्शनीय स्थल

  • पंबन ब्रिज
  • धनुषकोडी
  • रामपद्मम (राम के चरण चिह्न)
  • कोथंडारामस्वामी मंदिर
  • अग्नि तीर्थम

रामेश्वरम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • मंदिर में पारंपरिक वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
  • दर्शन एवं अभिषेक के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
  • 22 तीर्थ कुएं में स्नान करना पवित्र माना जाता है।
  • मंदिर परिसर में मोबाइल और कैमरे प्रतिबंधित हैं।
  • अक्टूबर से मार्च तक यात्रा करना उत्तम होता है।

पौराणिक कथाएं और मान्यताएं

मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम ने ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी। हनुमान जी काशी से विश्वलिंगम लाए थे। यहीं से रामसेतु का निर्माण कर लंका तक मार्ग बनाया गया था।

निष्कर्ष

रामेश्वरम मंदिर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहाँ की पवित्रता, समुद्र का शांत वातावरण और मंदिर की भव्यता हर श्रद्धालु के मन को शांति प्रदान करती है। यदि आप अध्यात्म की गहराई में उतरना चाहते हैं, तो रामेश्वरम यात्रा आपके लिए अवश्य करनी चाहिए।

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