📝 रक्षा बंधन 2025: प्रेम और संरक्षण के शाश्वत बंधन का उत्सव
परिचय:
हर साल, हिंदू पर्व रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का खूबसूरती से उत्सव मनाता है। यह त्यौहार केवल राखी बांधने की रस्म नहीं है — यह भावनात्मक जुड़ाव, प्रेम और जिम्मेदारियों की पुनः पुष्टि है जो भाइयों और बहनों के बीच साझा होती है।
ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व:
रक्षा बंधन की परंपरा सदियों पुरानी है और कई हिंदू ग्रंथों और कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है:
द्रौपदी और भगवान कृष्ण: महाभारत के अनुसार, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई से रक्त बहने पर अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधा था, और बदले में कृष्ण ने उसकी रक्षा का वचन दिया।
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं: एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक प्रसंग के अनुसार, मेवाड़ की रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा का आग्रह किया था।
ये कथाएँ इस पर्व का सार प्रकट करती हैं — आपसी स्नेह, सम्मान और कर्तव्य।
रिवाज और परंपराएँ:
रक्षा बंधन के दिन:
बहनें अपने भाई की आरती उतारती हैं, माथे पर तिलक लगाती हैं और उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं।
भाई बदले में अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं और उपहार भी भेंट करते हैं।
आधुनिक समय में यह पर्व केवल सगे-संबंधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि दोस्त, गुरु और सैनिकों को भी राखी बांधने की परंपरा बन चुकी है।
क्षेत्रीय और आधुनिक उत्सव:
यद्यपि इसका मूल भाव समान रहता है, विभिन्न क्षेत्रों में रक्षा बंधन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है:
उत्तर भारत में यह त्यौहार सावन के मानसून और फसल कटाई के साथ आता है और अत्यंत शुभ माना जाता है।
महाराष्ट्र में इसे नारियल पूर्णिमा (नारळी पौर्णिमा) के साथ मनाया जाता है, जो मछुआरों का पर्व है।
आधुनिक भारत और विदेशों में भाई-बहन जो दूर रहते हैं, वे ऑनलाइन राखी और उपहार भेजकर इस पावन पर्व को डिजिटल तरीके से भी मनाते हैं।
निष्कर्ष:
रक्षा बंधन केवल एक रस्म नहीं, बल्कि शाश्वत प्रेम, विश्वास और पारिवारिक बंधन का उत्सव है। बदलती दुनिया में ऐसे पर्व हमें अपने जीवन के रिश्तों को सहेजने और उन्हें सम्मान देने का अवसर प्रदान करते हैं।
जैसे-जैसे रक्षा बंधन 2025 करीब आ रहा है, आइए इस खूबसूरत परंपरा का सम्मान करें — चाहे एक साधारण धागे के रूप में, एक दिल से भेजे गए संदेश के रूप में या अपनों के लिए की गई एक मौन प्रार्थना के रूप में।