मां गंगा ने तीसरी बार श्री बड़े हनुमान जी को कराया अमृत स्नान, फिर गहराया बाढ़ का खतरा
वाराणसी, जिसे मोक्षदायिनी काशी कहा जाता है, वहां हर पत्थर, हर घाट और हर मूर्ति के साथ कोई न कोई आस्था जुड़ी हुई है। यहां की सबसे विशिष्ट पहचान है — श्री बड़े हनुमान जी की मूर्ति, जो दशाश्वमेध घाट के समीप गंगा मैया की गोद में विराजमान रहती है। हर वर्ष बरसात के मौसम में मां गंगा जब अपने रौद्र रूप में आती हैं, तो बड़े हनुमान जी को अपने जल से स्नान कराती हैं।
इस वर्ष यह विशेष दृश्य तीसरी बार देखने को मिला, जब मां गंगा ने एक बार फिर श्री बड़े हनुमान जी को अमृत स्नान कराया। परंतु इस बार यह अमृत स्नान केवल आस्था का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि इसके साथ ही वाराणसी में बाढ़ का खतरा और भी गहरा गया है।
श्री बड़े हनुमान जी का अमृत स्नान: आस्था का अद्भुत दृश्य
श्री बड़े हनुमान जी की मूर्ति वाराणसी के श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। इस मूर्ति की विशेषता यह है कि यह जमीन में धंसी हुई है और हर वर्ष बाढ़ के समय मां गंगा स्वयं आकर इन्हें स्नान कराती हैं। इसे श्रद्धालु "अमृत स्नान" की संज्ञा देते हैं और इसे शुभ संकेत मानते हैं।
इस वर्ष यह स्नान तीसरी बार हुआ है, जिससे श्रद्धालुओं में जहां एक ओर गंगा मैया की महिमा का उत्साह है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ के खतरे ने चिंता भी बढ़ा दी है।
बाढ़ का बढ़ता खतरा
मौजूदा स्थिति यह है कि गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के करीब पहुंच चुका है। घाटों पर पानी भर चुका है और नाविकों की गतिविधियां सीमित हो गई हैं। श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के समीपवर्ती घाटों पर पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है।
बड़े हनुमान जी के अमृत स्नान के बाद यह संकेत मिल रहा है कि गंगा का प्रवाह अभी और उग्र हो सकता है।
धार्मिक आस्था बनाम प्रशासनिक चुनौती
श्रद्धालुओं के लिए श्री बड़े हनुमान जी का गंगा स्नान आस्था का विषय है, लेकिन प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है। क्योंकि जैसे ही मूर्ति जलमग्न होती है, श्रद्धालु पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए घाटों की ओर उमड़ पड़ते हैं।
बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे घाटों की सीढ़ियों पर अधिक नीचे न जाएं और जलस्तर बढ़ने की स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर रहें। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं।
पर्यावरणीय संतुलन की चेतावनी
मां गंगा का यह रौद्र रूप केवल प्राकृतिक चक्र का हिस्सा नहीं है। जलवायु परिवर्तन, नदी में अतिक्रमण, और अनियंत्रित निर्माण कार्य भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। बड़े हनुमान जी के अमृत स्नान के पीछे केवल आध्यात्मिक भावनाएं नहीं छिपी हैं, यह एक स्पष्ट संदेश भी है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का दुष्परिणाम मानवता को भुगतना पड़ेगा।
आस्था के साथ सतर्कता जरूरी
जहां एक ओर मां गंगा के इस स्वरूप को श्रद्धालु दिव्य मानकर पूजते हैं, वहीं दूसरी ओर हमें यह भी समझना होगा कि सुरक्षा और सतर्कता भी उतनी ही आवश्यक है।
यह दृश्य सच में अद्वितीय होता है जब गंगा मैया स्वयं आकर अपने प्रिय हनुमान जी को स्नान कराती हैं। लेकिन यह समय यह भी याद रखने का है कि जल का यह उफान कभी भी त्रासदी में बदल सकता है।
निष्कर्ष
“मां गंगा ने तीसरी बार श्री बड़े हनुमान जी को कराया अमृत स्नान” — यह समाचार एक तरफ श्रद्धालुओं के लिए दिव्यता का अनुभव है, तो दूसरी ओर यह वाराणसी शहर के लिए गंभीर बाढ़ संकट का संकेत भी है।
यह समय है जब आस्था के साथ विवेक और सतर्कता भी अपनाई जाए। गंगा मैया का यह अमृत स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह प्रकृति का सजीव संदेश है कि यदि हमने समय रहते चेतावनी नहीं ली, तो बाढ़ जैसी आपदाएं बार-बार हमें घेरती रहेंगी।
प्रशासन, समाज और प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वे नदियों को केवल पूज्य नहीं, बल्कि संरक्षित भी करें। तभी गंगा का यह अमृत स्नान सचमुच अमृत समान बना रहेगा और मानवता सुरक्षित रह सकेगी।