भारत त्योहारों की भूमि है। यहाँ हर पर्व अपने साथ एक नई ऊर्जा, उत्साह और सीख लेकर आता है। इन्हीं में से एक है दशहरा जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है। यह पर्व नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। जब-जब दशहरा आता है, यह लोगों के मन में नई सोच, नई प्रेरणा और विश्वास जगाता है।
अच्छाई की जीत का संदेश
दशहरा हमें सबसे पहले यह याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंततः जीत अच्छाई की ही होती है। रावण, जो अहंकार, लालच और बुराई का प्रतीक था, उसका नाश भगवान राम ने किया। यह घटना लोगों को सिखाती है कि जीवन में अगर कठिनाइयाँ और अन्याय भी आए, तो साहस और धर्म का मार्ग अपनाकर विजय पाई जा सकती है।
आत्मविश्वास और साहस का भाव
दशहरे के समय जब लोग रावण दहन देखते हैं तो उनके भीतर एक अजीब आत्मविश्वास जागृत होता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हमारे अंदर भी एक “राम” है जो हर चुनौती और बुराई को परास्त कर सकता है। यह साहस और आत्मबल का पर्व है।
समाज में एकता और उत्साह
दशहरा सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक उत्सव भी है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर रावण दहन देखने जाते हैं। मेले लगते हैं, झांकियाँ निकलती हैं और रामलीला का मंचन होता है। यह सब मिलकर समाज में भाईचारे, एकता और उत्साह का संचार करता है।
नकारात्मकता से मुक्ति का भाव
रावण दहन केवल प्रतीकात्मक नहीं है। यह हमें अपनी बुराइयों, जैसे—अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ और मोह को भी जलाने का संदेश देता है। दशहरा लोगों के मन में यह प्रेरणा भरता है कि जैसे भगवान राम ने रावण का वध किया, वैसे ही हमें अपनी कमजोरियों और नकारात्मक भावनाओं को परास्त करना चाहिए।
जीवन में नए आरंभ का संकेत
भारतीय परंपरा में दशहरे को शुभ दिन माना गया है। लोग इस दिन नए कार्यों की शुरुआत करते हैं—जैसे घर, वाहन या व्यवसाय का उद्घाटन। किसान फसलों की कटाई का समय मानते हैं और विद्यार्थी इस दिन नई पढ़ाई की शुरुआत करते हैं। यह पर्व लोगों के मन में नई उम्मीद और नए आरंभ का विश्वास जगाता है।
त्याग और धर्मपालन की प्रेरणा
दशहरा हमें यह भी सिखाता है कि धर्म के मार्ग पर चलने के लिए त्याग आवश्यक है। भगवान राम ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों और संघर्षों का सामना किया लेकिन धर्म और सत्य से कभी विचलित नहीं हुए। यह प्रेरणा लोगों के मन में कर्तव्यनिष्ठा और त्याग का महत्व बढ़ाती है।
सामूहिक आनंद और मनोरंजन
दशहरे का एक और बड़ा आकर्षण है रामलीला। नवरात्रि से लेकर दशहरे तक होने वाले रामलीला कार्यक्रम लोगों को संस्कृति और परंपरा से जोड़ते हैं। रावण दहन का दृश्य देखने में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सब आनंदित होते हैं। यह सामूहिक खुशी लोगों के मन को प्रसन्न कर देती है।
आत्मचिंतन और सुधार का अवसर
दशहरा केवल उत्सव मनाने का दिन नहीं बल्कि आत्मचिंतन का अवसर भी है। यह पर्व लोगों को अपने जीवन पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है—कि वे किन बुराइयों से घिरे हुए हैं और किन गुणों को अपनाने की आवश्यकता है। यह सुधार और आत्मविकास की राह दिखाता है।
निष्कर्ष
दशहरा सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि एक जीवन-दर्शन है। यह लोगों के मन में साहस, आत्मविश्वास, सकारात्मकता और धर्म के प्रति निष्ठा जगाता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि हर इंसान के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों हैं, लेकिन विजयी वही होता है जो सत्य, धर्म और सद्गुणों का मार्ग अपनाता है।
👉 इसीलिए, दशहरा आते ही लोगों के मन में नया उत्साह, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा जन्म लेती है।
“सत्यमेव जयते — सत्य की ही सदैव विजय होती है।”