सावन में भोलेनाथ की पूजा कैसे करें? – विधि, लाभ, और धार्मिक महत्व
संक्षिप्त विवरण: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस पावन अवसर पर शिवजी की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। इस ब्लॉग में जानिए सावन में भोलेनाथ की पूजा विधि, उससे जुड़े लाभ, पुराणों का उल्लेख और धार्मिक मान्यताएं।
श्रावण मास का महत्व
सावन हिन्दू पंचांग का एक विशेष पवित्र महीना है। शिव पुराण के अनुसार, इस महीने भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान कर सृष्टि की रक्षा की थी। इसलिए सावन मास में शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
पूजा विधि (Step-by-step)
सावन सोमवार का महत्व:
सावन के सोमवार को व्रत रखकर शिवजी की आराधना करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।
आवश्यक सामग्री:
- गंगाजल
- बेलपत्र
- दूध, दही, शहद, घी
- भस्म (विभूति)
- धतूरा, आक
- फल और मिठाई
- पंचामृत
- दीपक, अगरबत्ती, कपूर
- शिव मंत्रों की पुस्तक
पूजा प्रक्रिया:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग को गंगाजल से अभिषेक करें।
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से स्नान कराएं।
- बेलपत्र, भस्म, धतूरा और पुष्प अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
- शिव चालीसा और आरती करें।
- प्रसाद वितरण करें।
पुराणों और ग्रंथों में उल्लेख
- शिव पुराण: सावन में जलाभिषेक से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- स्कंद पुराण: सावन के सोमवार व्रत से सात जन्मों तक पुण्य फल प्राप्त होता है।
- पद्म पुराण: बेलपत्र अर्पण करने से महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
सावन में शिव पूजा के लाभ
- मनोकामना पूर्ति
- स्वास्थ्य लाभ
- पारिवारिक सुख और शांति
- कर्मों का शुद्धिकरण
- आध्यात्मिक उन्नति
उदाहरण
राधिका नामक युवती ने सावन के चारों सोमवारों को व्रत रखा और श्रद्धा से पूजा की। कुछ ही समय में उसे एक योग्य जीवनसाथी मिला और उसका दांपत्य जीवन सुखमय हो गया।
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सावन में भोलेनाथ की पूजा कैसे करें? – विधि, लाभ, और धार्मिक महत्व
संक्षिप्त विवरण: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस पावन अवसर पर शिवजी की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। इस ब्लॉग में जानिए सावन में भोलेनाथ की पूजा विधि, उससे जुड़े लाभ, पुराणों का उल्लेख और धार्मिक मान्यताएं।
श्रावण मास का महत्व
सावन हिन्दू पंचांग का एक विशेष पवित्र महीना है। शिव पुराण के अनुसार, इस महीने भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान कर सृष्टि की रक्षा की थी। इसलिए सावन मास में शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
पूजा विधि (Step-by-step)
सावन सोमवार का महत्व:
सावन के सोमवार को व्रत रखकर शिवजी की आराधना करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।
आवश्यक सामग्री:
- गंगाजल
- बेलपत्र
- दूध, दही, शहद, घी
- भस्म (विभूति)
- धतूरा, आक
- फल और मिठाई
- पंचामृत
- दीपक, अगरबत्ती, कपूर
- शिव मंत्रों की पुस्तक
पूजा प्रक्रिया:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग को गंगाजल से अभिषेक करें।
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से स्नान कराएं।
- बेलपत्र, भस्म, धतूरा और पुष्प अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
- शिव चालीसा और आरती करें।
- प्रसाद वितरण करें।
पुराणों और ग्रंथों में उल्लेख
- शिव पुराण: सावन में जलाभिषेक से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- स्कंद पुराण: सावन के सोमवार व्रत से सात जन्मों तक पुण्य फल प्राप्त होता है।
- पद्म पुराण: बेलपत्र अर्पण करने से महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
सावन में शिव पूजा के लाभ
- मनोकामना पूर्ति
- स्वास्थ्य लाभ
- पारिवारिक सुख और शांति
- कर्मों का शुद्धिकरण
- आध्यात्मिक उन्नति
उदाहरण
राधिका नामक युवती ने सावन के चारों सोमवारों को व्रत रखा और श्रद्धा से पूजा की। कुछ ही समय में उसे एक योग्य जीवनसाथी मिला और उसका दांपत्य जीवन सुखमय हो गया।